नवग्रह पूजा एवं हवन (नवग्रह शांति पूजा)

श्री सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहु, केतु ग्रह का षोडषोपचार से पूजा अर्थात् ध्यान, स्नान, वस्त्र, चंदन, तिलक, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, फल, नारियल से पूजा की जाती है एवं पूजन के उपरांत सभी ग्रहों के नाम मंत्र से एक सौ आहुति हवन किया जाता है अर्थात् सूर्य की एक सौ आहुति, चंद्र की एक सौ आहुति, मंगल की एक सौ आहुति आदि सभी नौ ग्रहों की मिलाकर नौ सौ आहुति हवन में प्रदान की जाती है।
श्री सूर्यादि नवग्रह की पूजा एवं हवन करने समस्त प्रकार की ग्रहपीड़ा से शांति प्राप्त होती है। जिसके मानसिक व्याधि हो, दुर्घटना का भय हो, विकट शत्रुओं द्वारा पीड़ित हो, मारक ग्रहों की पीड़ा हो, गृह में वाद-विवाद क्लेश बना रहता हो, बारम्बार रोग की पीड़ा बनती हो, धन की हानि होती हो, विवाह, सन्तान में बाधा बनती हो अथवा नवग्रहों की प्रसन्नता के लिए नवग्रह की पूजा अथवा किसी भी ग्रह की पूजा एवं हवन द्वारा समस्त पीड़ा की शांति, सुख निरोगता एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
समग्री सहित दक्षिणा-रु. 11000