श्री राधामाधव देवस्थानम्

Shri Radha Madhav Devasthanam

मंदिर परिसर में दिव्य विशाल पीपल वृक्ष है जो काफी प्राचीन समय से अपनी दिव्यता एवं चमत्कारिक गुणों के कारण क्षेत्र की जनता में लोकप्रिय है। इस प्राचीन पीपल वृक्ष की ‘श्री लक्ष्मीनारायण पीपल’ के रूप में पूजा एवं सेवा की जाती है।
मंदिर परिसर में दिव्य विशाल पीपल वृक्ष है जो काफी प्राचीन समय से अपनी दिव्यता एवं चमत्कारिक गुणों के कारण क्षेत्र की जनता में लोकप्रिय है। इस प्राचीन पीपल वृक्ष की ‘श्री लक्ष्मीनारायण पीपल’ के रूप में पूजा एवं सेवा की जाती है।

नवग्रह – गुरूजी

नवग्रह के दान लोकेन्द्र चतुर्वेदी ज्योतिष शास्त्र द्वारा सभी मानवों का जीवन प्रभावित होता है। वस्तुतः ज्योतिष में वर्णित ग्रह योग सम्पूर्ण मानव जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों की शुभाशुभ स्थिति से मानव जीवन के क्रिया-कलाप संचालित होते हैं। नवग्रह हमारे पूर्व जन्मों के शुभाशुभ कर्मों के फलों को अपनी शुभ-अशुभ वर्तमान संचरण के द्वारा प्रदान करते हैं। जीवन का सम्पूर्ण सुख-दुःख, हानि-लाभ, जय-पराजय आदि नवग्रहों पर आधारित है। इसका कारण 27 नक्षत्रों और 12 राशियों पर ये ग्रह सतत भ्रमण करते रहते हैं तथा सभी के पूर्वजन्मों के कर्मों के साक्षी हैं। ग्रहों की अनुकूल परिस्थिति होने पर वह मनुष्य द्वारा किए गए शुभ कर्मों के फलों को प्रदान करते हैं, जिससे सुख की अनुभूति होती है एवं प्रतिकूल परिस्थिति होने पर वह मनुष्य द्वारा किए गए अशुभ कर्मों के फलों को प्रदान करते हैं, जिससे मनुष्य दुःखानुभूति प्राप्त करता है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु, ये नौ ग्रह कहलाते हैं। ज्योतिष शास्त्रानुसार जन्म कुण्डली में या वर्ष कुण्डली में या ग्रहगोचर संचरण आदि में कोई ग्रह प्रतिकूल स्थिति में हो तो अरिष्ट-निवारण के लिए ग्रहों के निमित्त दान करने की विधि है। ज्योतिष शास्त्रानुसार इन ग्रहों को ब्रह्म जी ने वरदान दिया था कि जो इनके प्रतिकूल स्थान के संचरण में जो ग्रहों की प्रसन्नता के निमित्त दान एवं ग्रहों की पूजा करेगा। ये नवग्रह उसे पूजित व सम्मानित बनाएंगे एवं अनिष्ट की शांति करेंगे।

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों के आनुकूल्य-प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रकार के दान बताए गए हैं। सूर्य सभी ग्रहों का राजा है एवं सभी ग्रहों में बली है। यदि सूर्य प्रतिकूल स्थिति में हो तो ‘गोदान’ या गाय के मूल्य का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त लाल-पीले रंग का वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, तांबा का पात्र, माणिक्य रत्न, गेहूं या गेहूं का आटा, लाल कम्बल, मसूर की दाल का ब्राह्मण, मंदिर या ब्राह्मण ज्योतिषी को दान करना चाहिए। चंद्रमा की अनुकूलता के लिए श्रीखण्ड, चंदन, शंख का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त शुद्ध घी से भरा कलश, श्वेत वस्त्र, दही, मोती, स्वर्ण तथा चांदी के बर्तन, आभूषण का दान करना चाहिए। मंगल की शांति के लिए बैल को चारा दान करना चाहिए तथा लाल वस्त्र, लाल पुष्प माला, ब्राह्मण को भोजन दान करना चाहिए तथा गुड़, स्वर्ण, तांबे का बर्तन एवं रक्त चंदन का दान करना चाहिए। बुध की अनुकूलता के लिए विशेष रूप से स्वर्ण के आभूषण या स्वर्ण के पात्र का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हरा वस्त्र, मूंग की दाल, पन्ना रत्न, स्वर्ण पात्र में शुद्ध घी, कांसे का बर्तन, पुष्प, फल का दान करना चाहिए। बृहस्पति की शान्ति के लिए विशेष रूप में पीले वस्त्र का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वर्ण आभूषण, शहद, पीला धान्य तथा चने की दाल, नमक, पीले पुष्प, खांड चीनी, हल्दी, धार्मिक पुस्तक, पुखराज रत्न, भूमि एवं छाता का दान करना चाहिए।

शुक्र की शांति के लिए विशेष रूप से रेशमी श्वेत वस्त्र, श्वेत घोड़े का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त चावल, शुद्ध घी, स्वर्ण आभूषण, रुपया-पैसा (धन), हीरा-रत्न, सुगंधित द्रव्य पदार्थ, कपूर, मिश्री, दही एवं बछड़े सहित गौ का दान अथवा गौ के मूल्य का दान करना चाहिए। शनि की स्थिति प्रतिकूल हो तो विशेष रूप से काले रंग की गाय अथवा काले कम्बल या वस्त्र के साथ गाय के मूल्य का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त समस्त प्रकार के तेल, नीला वस्त्र, नीलम रत्न, स्टील के बर्तन, लोहे की वस्तु, नारियल, उड़द, काला तिल, छाता, जूता-चप्पल का दान दक्षिणा के साथ करना चाहिए। राहु ग्रह के दोष शांति हेतु विशेष रूप से लोहे या स्टील के बर्तन एवं वस्तु का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वर्ण आभूषण, काले तिल से युक्त तांबे का बर्तन, काला कम्बल, गोमेद रत्न का दान दक्षिणा के साथ करना चाहिए। केतु ग्रह की शांति हेतु विशेष रूप से काले तिल युक्त ऊनी वस्त्र का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्टील एवं लोहे की वस्तु, छाता, तेल, लहसुनिया रत्न, कस्तूरी एवं उड़द का दान दक्षिणा सहित करना चाहिए। इस प्रकार योग्य ज्योतिषी के परामर्श से कार्य सम्पन्न करना चाहिए। दान देते समय उसके साथ दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए, तभी दान का विशेष फल प्राप्त होता है। नवग्रहों के निमित्त दान सामान्यतः उस ग्रह के वार में दिन में किया जाता है, यथा सूर्य हेतु रविवार को चंद्रमा हेतु सोमवार को इत्यादि। इस प्रकार नवग्रहों के निमित्त दिए जाने वाले दान से पापों का शमन होता है तथा अरिष्टों की शांति होती है। नवग्रहों के निमित्त दान से पुण्य प्राप्त होता है तथा सुख, शांति, अरोग्यता, ऐश्वर्य, सम्पत्ति एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

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